एक व्यक्ति ने कुम्हार से कहा, जन्माष्टमी के लिए मुझे बहुत सारी मटकियाँ चाहिए।
कुम्हार ने कहा - मैं एक दिन में केवल बीस मटकी बना सकता हूँ। मैं जिस गुणवत्ता की मटकियाँ बनाता हूँ, उन मटकियों का ज्यादा उत्पादन करना, मेरे बस की बात नहीं है।
उस व्यक्ति ने कहा – कौन सा जीवन भर रखना है, जन्माष्टमी पर फोड़ना ही तो है। जल्दी-जल्दी ज्यादा संख्या में, कैसी भी बना दो।
उस कुम्हार ने जवाब दिया - माफ कीजिए, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप उन मटकियों का क्या करने वाले हैं। उन्हे एक दिन रखेंगे, एक साल रखेंगे या सौ साल रखेंगे, यह आपका चुनाव है। मैं घटिया मटकियाँ बना ही नहीं सकता क्योंकि मेरा स्तर और मेरे हाथ से होने वाली कारीगरी दोनों ही ऊँचे हैं । मैं अपनी गुणवत्ता के अनुरूप ही मटकी बना कर दूंगा। यदि आपको निम्न स्तर की मटकी चाहिए तो आप किसी और के पास जा सकते हैं।
यह उत्तर सुनकर वह व्यक्ति हतप्रभ रह गया, उसने कभी सोचा भी नहीं था, कि एक सामान्य सा काम करने वाला व्यक्ति इतनी बड़ी सोच के साथ काम कर सकता है।
इस कुम्हार की तरह हमें भी जीवन में ऊंचे मापदंड रखने चाहिए। हमारे हाथ से यदि कोई काम होगा, तो वह उच्च स्तर का ही होगा। हम यदि किसी से व्यवहार करेंगे तो वो उच्च स्तर का करेंगे। हमारे अगर साथी होंगे, तो वो उच्च स्तर के होंगे। हम यदि कभी सपने देखेंगे, तो वो उच्च स्तर के देखेंगे। यदि आपको ऊंची जगह पर पहुँचना है, तो आप हल्की चीजों के उपयोग से ऊंचे जगह पर नहीं पहुँच सकते। भले ही दूसरों को पता ना चले लेकिन एक उच्च स्तर के व्यक्ति को कभी निम्न स्तर का काम नहीं करना चाहिए।
मुझे अक्सर देश - विदेश मे वक्ता के तौर पर आमंत्रित किया जाता है। कभी-कभी तो विषय एक ही रहता है लेकिन आज भी मैं हर भाषण की तैयारी करता हूँ। आज भी मैं हर प्रोग्राम में क्या कहूँगा, कौन सी कहानियाँ सुनाऊँगा, क्या एक्शन करूंगा, ये हर चीज़ मैं पहले से तय करता हूँ।
मेरे आस-पास के लोग लोग कहते हैं कि हर बार मेहनत जरूरी नहीं है लेकिन मैं हमेशा सोचता हूँ कि सुनने वालों कि संख्या जो भी हो, लेकिन वो अपना कीमती वक़्त निकाल कर, मुझ पर भरोसा करके मुझे सुनने आए हैं। मेरा दायित्व बनता है कि मैं उनके जीवन या व्यापार में क्रांतिकारी परिवर्तन हेतु कोई अच्छी सलाह दूँ। यह बात कहने में भी मुझे कोई परहेज नहीं है कि मैं हर बार तनाव में रहता हूँ। कभी- कभी मुझे लगता है कि जिस तरह दूसरे वक्ता कुछ भाषण तैयार करके हर जगह उन भाषणो को दोहरा देते हैं, ऐसा मुझे भी कर लेना चाहिए। आज तक मेरी अंतरात्मा ने इस बात के लिए मुझे अनुमति नहीं दी।
जब आपके खुद के भीतर से आपके लिए मापदंड या बेंचमार्क बनते है, फिर आप बाहर वालों के मापदंड से आज़ाद हो जाते हैं। धीरे-धीरे दूसरों को भी विश्वास हो जाता है कि आप आवश्यकता से ज्यादा देगें और अपेक्षा से ज्यादा उच्च रहेंगे। साख इतनी बड़ी हो जाती है कि कभी आपसे कोई गलती भी हो जाये, तो दूसरा व्यक्ति सहसा विश्वास नहीं करता कि ये गलती आपने की है। कभी कोई आपके ऊपर दुर्व्यवहार या चोरी का इल्ज़ाम लगा दे, तो भी दुसरे लोग ये स्वीकार ही ना करें, कि आप ऐसा कर सकते है।
आपके अपने मापदंड इतने ऊंचे हो कि लोग आपके मापदण्डों को सलाम करें, उनका उदाहरण दे, लोग आपके मापदंडो और आपके विचारों को अपनाने की सोंचे। यह काम औसत व्यक्ति नहीं कर सकता।
औसत व्यक्ति के जीने के नियम, सदा दूसरे लोग बनाते हैं. औसत व्यक्ति को डराने के लिए दंड का सहारा लेना पड़ता हैं, उसे जगाने के लिए पुरस्कार का सहारा लेना पड़ता है लेकिन एक ऊँचे मापदंड वाला श्रेष्ठ व्यक्ति इन सबसे आज़ाद होता है। उसको ना तो डराने की ज़रूरत है, ना तो जगाने की ज़रूरत है, क्योंकि वो खुद ही जगा हुआ है। उसको खुद ही ज्ञान होता है कि कहाँ मैं गलत कर रहा हूँ और वहाँ वो दुख मनाता है। उसको खुद ही ज्ञान होता है कि कहाँ मैं सही कर रहा हूँ और वहाँ वह जश्न मानता है।
इसीलिए जीवन के तमाम क्षेत्रों में सोचिए कि मेरा मापदंड क्या होना चाहिए। थोड़ी मेहनत लगेगी, ज़िंदगी को थोड़ा सा एक्सट्रा देना होगा, फोकस और समर्पण के साथ जीना पड़ेगा । कुछ समय के बाद उच्चता आपकी आदत हो जाएगी और आपको ऊंचे मापदंड अपनाने नहीं होंगे। आप व्यक्ति ही ऊंचे मापदंड वाले हो जाएंगे और हल्के आचरण से आपको आत्मग्लानि होने लगेगी।
नियम तोड़ो
औसत व्यक्ति के जीवन में कोई मापदंड नहीं होते। जहां लाभ नजर आए, बस वही काम करना उनका लक्ष्य होता है। उनका अधिकांश जीवन तात्कालिक लाभ पाने में बीत जाता है। आप आज ही इस औसत नियम को तोड़कर अपने लिए मापदंड बनाइए। एक स्तर के नीचे जीवन में कभी मत जाइए। अपनी गुणवत्ता से समझौता मत कीजिए। आपके द्वारा किया गए काम या बोली गयी बात कभी हल्की नहीं होनी चाहिए।
स्थायी श्रेष्ठता पाने के लिए टेम्पररी फायदा छोड़ने को सदा तैयार रहिए।
धन्यवाद,