भगवान श्री राम लंका पर आक्रमण करने के लिए समुद्र पर पुल बनवा रहे थे। एक गिलहरी बार-बार नदी पर लोटकर अपने शरीर पर रेत चिपका कर लाती थी। अपने शरीर में लिपटी रेत को वह ढेर मे दल देती थी| वानरों ने यह किस्सा जाकर श्री राम को बताया। श्री राम ने गिलहरी को बुलाया और कहा, यह क्या कर रही हो। गिलहरी ने कहा – लंका पर विजय पाने की तैयारी। श्री राम ने कहा, तुम्हारे चंद रेत के कणों से क्या होगा? गिलहरी ने कहा – माफ करें भगवान, रेत के कण कम हैं या ज़्यादा यह तो मैं नहीं जानती, पर मैं इतना ज़रूर जानती हूँ कि मेरी जितनी क्षमता है, मैं पूरी ताकत लगाकर अपना योगदान दे रही हूँ।
भगवान श्री राम गिलहरी के उत्साह से अभिभूत हो गए। उन्होने प्यार से उस गिलहरी के शरीर पर हाथ फेरा। कहते हैं, गिलहरी के शरीर पर जो धरियन हैं, वह भगवान श्री राम के हाथों की छाप है।
कार्य छोटा हो या बड़ा, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। फर्क इससे पड़ता है कि उस कार्य में आपका पूर्ण उत्साह और समर्पण है या नहीं। उत्साहित लोग बाल्यकाल से वृद्धावस्था तक नित नयी उपलब्धियां हासिल करते रहते हैं।
- विक्टर ह्यूगों ने 15 वर्ष की उम्र में अपना पहला ड्रामा लिख दिया था ।
- नेपोलियन ने 25 वर्ष की आयु में इटली पर झण्डा फहरा दिया था ।
- मार्टिन लूथर 21 वर्ष की उम्र में महान समाज सुधारक बन गए थे ।
- आइसेक न्यूटन ने 21 साल में अपना महानतम आविष्कार कर लिया था।
- सचिन तेंदुलकर 18 वर्ष की उम्र में क्रिकेट स्टार बन गए थे।
आपने टी वी पर एक विज्ञापन की लाइन सुनी होगी- 60 साल के बूढ़े या 60 साल के जवान। अमिताभ बच्चन, देव आनंद , मकबूल फिदा हुसैन , ए पी जे अब्दुल कलाम, पंडित रविशंकर, लता मंगेशकर जैसे लोगों के उत्साह को देखकर तो उम्र भी शर्मा जाती है। इन सब में आग है, जुनून है , दीवानापन है और ऐसे लोगों को बाधाएँ भी रास्ता दे देती हैं ।
आपने कभी नीलामी की बोली देखी है, वहाँ मुख्य वक्ता इस तरह उत्साह से भरकर बोलियाँ लगाते हैं कि श्रोताओं में उत्तेजना आ जाती है। वे वस्तुओ को उनकी हैसियत से भी ऊंचे दाम पर बेच देते हैं। आप एक उत्साहित वक्ता की जगह सुस्त और निरुत्साहित वक्ता की कल्पना कीजिये। क्या वो लोगों में उत्तेजना पैदा कर पाएगा ? सार यह है कि आपके व्यापार में, कार्य क्षेत्र में जब तक आपका उत्साह शब्दों के माध्यम से दूसरों तक नहीं पहुंचेगा, आपको मंज़िल नहीं मिलेगी।
एक नन्हा सा बालक तरबूज बेच रहा था। सुबह नदी के उस पार जाकर तरबूज लाता और गलियों में घूम घूमकर चिल्लाता, तरबूज ले लो । वह बेहद निराश था क्योंकि तीन दिन हो गए थे , उसका एक भी तरबूज नहीं बिका था , कड़ी प्रतिस्पर्धा थी।
उसकी माँ तीन दिनो से उसे हताश लौटते देख रही थी। माँ ने कहा – बेटा , तू इतना सुस्त होकर निरुत्साहित होकर पुकारेगा तो कौन खरीदेगा। सुस्ती हटा, उत्साह ला, दूसरों से कुछ अलग तरीके से बेच, लोगों का ध्यान खींच, बेटे को बात जंची। अगले दिन वो शहर गया और ज़ोर-ज़ोर से पुकारने लगा। नदी के उस पार का तरबूज, खास आपके लिए। मिश्री जैसा मीठा गारंटी है। इतना स्वादिष्ट कि आपने कभी खाया नहीं होगा क्योंकि यह सिर्फ नदी के उस पार मिलता है। वह हैरान रह गया जब उसने तरबूज की कीमत अन्य विक्रेताओं से कुछ ज़्यादा रख दी परंतु फिर भी कुछ ही देर में सारे तरबूज बिक गए।
सार यह है कि यदि आप अपने कार्य के प्रति उत्साहित रहे, दूसरों की भीड़ से अलग नज़र आए तो आपकी तरक्की को कोई नहीं रोक सकता। यदि आप जीवन में जीत चाहते हैं तो जिस कम को करते हैं , उससे प्यार करना शुरू कर दीजिए। यदि आप उस काम से प्यार नहीं करते तो उस काम को करना छोड़ दीजिए। अरुचि से निरुत्साहित होकर किए गए कार्य सदैव अधूरे रह जाते हैं।
दुनिया की सबसे बड़ी हीरों की कंपनी डेबियर्स में मार्केटिंग के पदों के लिए इंटरव्यू चल रहा था । इंटरव्यू के बाद पाँच लोगों का चयन किया गया। उनसे पूछा गया कि आप कितनी पगार की अपेक्षा रखते हैं । उनमें से चार ने जवाब दिया- एक लाख , परंतु एक ने कहा- एक लाख पचास हजार प्रतिमाह।
इंटरव्यू लेने वाले ने कहा – जब सारे लोग एक लाख प्रतिमाह पर कार्य करने को तैयार हैं तो तुम्हें एक लाख पचास हजार क्यों चाहिए। उस युवा ने उत्तर दिया – एक लाख रु सामान्य लोगों की तरह काम करने के लिए और पचास हजार रु अतिरिक्त अपना सारा उत्साह, जुनून और पागलपन झोंक देने के लिए, मैं कभी आपके पास निराश नहीं लौटूँगा । आप मुझसे 24 घंटे भी काम लेंगे तो भी मैं आपको मुस्कुराते हुए परिणाम देते हुए मिलूंगा, उस युवा को नौकरी मिल गई। उसके संक्रामक उत्साह और आत्मविश्वास ने अधिकारियों को प्रभावित कर दिया। सच तो यह है कि आपके निरुत्साहित रहने से , रोते रहने से , शिकायत करने से , हर जगह आपका व्यक्तित्व बौना होते जाता है , आपका मूल्य गिर जाता है ।
जापानी यूनिवरसिटि में एक शोध से ज्ञात हुआ है कि अति क्रोधित व्यक्ति या अति निरुत्साहित व्यक्ति , आत्महत्या करने को आतुर व्यक्ति , दूसरे की हत्या को आतुर व्यक्ति , यदि एक बार उत्साह से भरकर कुछ क्षण के लिए ज़बरदस्ती हँसे तो उनकी भावनाओं की मात्रा कम हो जाएगी और वे गलत कार्य करने से बच जाएंगे। अपने विभिन्न प्रोग्राम्स में मैं प्रतिभागियो से उत्साहित रहने की अपील करता हूँ ।
मित्रों हम इतने मशीनी होते जा रहे हैं कि खुश होने वाली बातों पर हम खुश नहीं हो पाते , रोने वाली बातों पर हम रो नहीं पाते, सारी भावनाएँ दबाकर कृत्रिमता बाहर लाते हैं। इस निरुत्साहित माहौल को देखते हुए कुछ बुद्धिमान इन्सानो ने लाफ्टर क्लब ( हंसाने वाला क्लब ) और क्राइंग क्लब (रुलाने वाला क्लब ) की शुरुआत की। आज ये क्लब दुनिया में जगह जगह फ़ेल गए हैं। यहाँ हंसी का माहौल बनाया जाता है और धीरे-धीरे लोग अपने बंधनों को तोड़कर खुलकर हँसते हैं , शोर करके हँसते हैं , नाचकर कूदकर हँसते हैं , अपने अंदर छुपे बचपन को बाहर लाते हैं । रो रोकर अपने गम हल्के करते हैं, एक दूसरे की संवेदनाओं में सहभागी बनते हैं। आँसू या हंसी के सत्र के बाद ऐसा लगता है मानो दिल से कोई बोझ उतार गया हो। फिर सारे लोग उत्साह से भरकर , ज़िंदगी का सामना करने के लिए तैयार हो जाते हैं ।
- जो भी कार्य करो, उसे पूरे जुनून और पागलपन के साथ करो ।
- मुस्कुराते रहो, ज़िंदगी की बाधाएँ स्वतः हट जाएंगी ।
- जो परिस्थितियाँ आपके नियंत्रण में नहीं हैं , उन पर रोना छोड़ दे ।
- निरुत्साहित और सुस्त आदमी की संगत कोई पसंद नहीं करता।
धन्यवाद........