वादन शुरू करने के लगभग 15 मिनट बाद वायलिन वादक की हैट में एक महिला ने पहला डॉलर डाला और बिना रुके बढ़ गई। लगभग सात मिनट बाद एक युवक कुछ देर के लिए वहाँ रुका। पैंतालीस मिनट की अवधि में सिर्फ छह लोग रुके और कुछ क्षण वादन का लुत्फ लिया। लगभग बीस लोगों ने पैसे डाले लेकिन वो तुरंत आगे निकल गए। कुल मिलाकर उस वादक को पैंतालीस मिनट में बत्तीस डॉलर मिले। वादन का आनंद लेने वालों की संख्या न के बराबर थी। एक घंटे बाद वह वायलिन समेटकर जाने लगा। न वहाँ कोई सराहना करने खड़ा था और न ही तालियाँ बजा रहा था।
वह वादक थे जोशुआ बेल, जो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वादकों में से एक हैं। उस स्टेशन पर जोशुआ लगभग लाखों के साज से अपनी अमूल्य धुनें बाजा रहे थे। खास बात यह थी कि सिर्फ दो दिन पहले जोशुआ के कार्यक्रम में बोस्टन का एक थिएटर ठसाठस भरा था। लोगों ने वही धुनें सुनने के लिए 100 डॉलर में प्रत्येक टिकट ली थी लेकिन उस स्टेशन पर किसी ने उन अमूल्य धुनों की ओर ध्यान नहीं दिया और न ही जोशुआ को पहचाना।
यह सत्य घटना अमेरिका के अखबार वॉशिंग्टन पोस्ट द्वारा की गई सामाजिक रिसर्च का हिस्सा थी कि किसी भी कला, गुण या व्यक्ति की कद्र सही जगह पर सही तरीके से प्रस्तुत होने पर होती है।
सच्चाई यह है कि आज के इस मशीनी भागमभाग वाले युग में किसी के पास किसी के लिए वक्त नहीं है। हमें अपनी प्रतिभा की बेहतरीन प्रस्तुति करनी पड़ती है ताकि वह पारखियों की पकड़ में आ सके। यह बात जीवन के हर क्षेत्र में लागू होती है। इसीलिए हम अपने प्रोग्राम में इमेज मैनेजमेंट पर फोकस करते हैं और इमेज मैनेजमेंट अब दुनिया में एक प्रमुख कोर्स के रूप में आ चुका है ।
कल्पना कीजिए कि यदि में आपको किसी व्यक्ति से मिलाऊँ और उनके बारे में कुछ विशेष न बताऊँ, तो हो सकता है कि आप उनसे एक सामान्य व्यक्ति की तरह व्यवहार करें और विशेष महत्व न दें। उसके विपरीत यदि मैं पहले से बता दूँ कि यह बेहद धनी या जीनियस है और इनकी हर बात अनमोल होती है तो आपका उस व्यक्ति को देखने का नज़रिया बदल जाएगा। आप बेहद गर्मजोशी भरा व्यवहार करेंगे । आप उनकी हर बात में एक संदेश ढूँढेंगे। आप गर्व से अनेक लोगों से उस मुलाक़ात का ज़िक्र करेंगे।
राजनेता भी बिना सुरक्षा के आम आदमी की तरह अंजान जगह पर चले जाएँ, तो कोई भी दुर्व्यवहार कर सकता है। हो सकता कि वह मुँह से कहे , मैं फलां मंत्री हूँ और सामने वाला ठहाका लगाकर बोले- “ ओए, तुसी मंत्री हो तो असी प्रधानमंत्री हूँ “।
साथियों, एक हीरे को यदि काँच के टुकड़ों के बीच रख दिया जाए तो लोग उसे काँच ही समझते हैं। एक सोने के जेवर को आर्टिफ़िश्यल गोल्ड ज्वलरी के पैक में रख दिया जाए तो लोग उसे आर्टिफ़िश्यल ही समझते हैं। यह इंसान की स्वाभाविक सोच और उम्मीद रहती है कि खास चीज़ को खास जगह पर ही प्रस्तुत होना चाहिए।
इसलिए महान संगीतकार जोशुआ जब स्टेशन पर बैठकर वायलिन वादन कर रहे थे , तो लोग उन्हें एक आम ज़रूरतमन्द कलाकार समझकर नज़रअंदाज़ कर रहे थे। यही लोग जब थिएटर में महंगा टिकट लेकर जाते हैं , तो मानसिक रूप से तैयार होकर इस उम्मीद के साथ जाते हैं कि आज हम एक महान वादक की महान रचना सुनने जा रहे हैं। वो दिल से वाह-वाह करते हैं और संगीत की लहरियों में खो जाते हैं।
यदि आपको अपनी प्रतिभा की कद्र चाहिए तो आपको अन्य लोगों तक यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संदेश पहुंचाना होगा कि आप प्रतिभाशाली हैं। आपको उनकी मानसिक तैयारी करानी होगी जिससे वो आपको गंभीरता से लें। हर व्यक्ति को शुरुआती दौर में यह करना पड़ता है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। आपको खास बनने के लिए , खास जगह पर, खास तरीके से खुद की योग्यताएँ दिखाना चाहिए। शुरुआती दौर में सबको अपनी ब्रांड वैल्यू खुद बनानी पड़ती है। स्वयं को हल्के में मत लीजिये। दुनिया उसी की इज्जत करती है जो स्वयं की इज्जत करता है। सम्मान उसी को मिलता है जिनमें आत्मसम्मान होता है।
https://www.youtube.com/watch?v=fZxaVtzKthE